सिखने संबंधी विकार की परिभाषा-
“सीखने की विशिष्ट अशक्तता का अर्थ एक ऐसे विकार से है जो एक या एक से अधिक उन बुनियादी मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं से जुड़ा है जो भाषा समझने और उसका मौखिक या लिखित इस्तेमाल करने के काम में शामिल हैं. इसमें सुनने, बोलने, पढ़ने, स्पेलिंग बोलने या गणित के सवाल हल करने में योग्यता कम हो जाती है.
इस विकार के तहत ऐसी स्थितियाँ शामिल हैं जैसे बोधात्मक या प्रत्यक्ष-ज्ञानात्मक बाधाएँ, दिमाग की चोट, मस्तिष्क की कार्यप्रणाली में त्रुटि, डिस्लेक्सिया और अफ़ैश यानि वाचाघात (लिखित या मौखिक भाषा को समझने की अक्षमता).
इस विकार के दायरे में वे बच्चे नहीं आते हैं जिन्हें सीखने की समस्याएँ हैं जो मुख्य रूप से देखने, सुनने या संदेशों के संचार की रुकावटों या बाधाओं, मानसिक मंदता, भावनात्मक अवरोध या पर्यावरणीय, सांस्कृतिक या आर्थिक नुक़सान का नतीजा होती हैं.”
कुछ बच्चे धीमी गति से सीखना शुरू करते हैं लेकिन आख़िरकार अपनी पढ़ाई-लिखाई और दूसरी गतिविधियों को सीखने और उनसे तालमेल बैठाने में समर्थ हो जाते हैं. कुछ बच्चों की विशिष्ट किस्म की गतिविधियों को सीखने में दिलचस्पी नहीं हो सकती है.
कुछ बच्चे धीमी गति से सीखना शुरू करते हैं लेकिन आख़िरकार अपनी पढ़ाई-लिखाई और दूसरी गतिविधियों को सीखने और उनसे तालमेल बैठाने में समर्थ हो जाते हैं. कुछ बच्चों की विशिष्ट किस्म की गतिविधियों को सीखने में दिलचस्पी नहीं हो सकती है.
जैसे नई भाषा को सीखना. कोई नयी ख़ास गतिविधि या निपुणता को सीखना, या कोई अकादमिक विषय. या खेलों में या दूसरी बाहरी गतिविधियों में उनकी रुचि नहीं हो सकती है. ये सब रुझान बच्चे की रुचियों के बारे में बताते हैं और सीखने की अशक्तता के सूचक नहीं हैं.
सिखने का विकार ( learning disabilities) सिखने में आने वाली समस्याओ को ही सिखने का विकार कहते हैं। सिखने का विकार निम्नलिखित है---
(1) Aphasia(वचनाघात):- इस विकार में बालक को भाषा की समझ और पढ़ने या लिखने की छमता प्रभावित होती है।
(2) डिस्लेक्सिया:- बालक पढ़ने में कठिनाई महसूस करते हैं। इस समस्या से पीड़ित बालक अक्षरों को उल्टा देखते है या पीछे की तरफ लिखते है।
(3) हैपेरलेक्सिया:- हैपेरलेक्सिया एक सिंड्रोम है जिससे एक बच्चे की पढ़ने की असामयिक क्षमता , समझने तथा मौखिक भाषा के उपयोग करने में महत्वपूर्ण समस्या होती है।
(4) डिसकैल्कुलिया:- इसमें गणित सिखने या समझने में कठिनाई होती है।
(5) डिसग्राफिया:- लिखने में होने वाली समस्या को डिसग्राफिया कहा जाता है।
(6) डिस्पेराक्सिया:- इसमें बैव्हे के रोजमर्रा के शारीरिक कार्यो को करने की व्यापक क्षमता को प्रभावित कर सकती है, जिसमे मोटर कौसल सम्मिलित है। इसमें कूदने, स्पष्ट रूप से बोलने और एक पेंसिल को पकड़ने जैसी समस्या होती है।
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