Thursday, August 22, 2019

स्किनर का सिद्धांत

स्किनर का सिद्धान्त :-

क्रियाप्रसूत अनुबंधन सिद्धांत:-

इस सिद्धांत के प्रतिपादक अमेरिका के बी. एफ. स्किनर ने किया| क्रिया प्रसूत अनुबंधन सिद्धांत का यह नाम इसलिए रखा गया क्योंकि यह कुछ एक क्रियाओं पर आधारित है जो किसी व्यक्ति को करनी होती है।
 इस सिद्धांत में शास्त्रीय अनुबंधन के सभी सिद्धांत पाए जाते हैं। पावलव के शास्त्रीय अनुबंधन सिद्धांत में कुत्ते को भली-भांति बांधा गया था और वह सक्रिय नहीं था किंतु इसकी स्किनर करके सीखने पर बल देते है। इस सिद्धांत को क्रिया मुलक अनुबंधन सिद्धांत कहा गया है.

स्किनर का प्रयोग:-

स्किनर का सिद्धान्त

स्किनर का सिद्धान्त


स्किनर शुरू में प्रयोग एक चूहे को लेकर किया। चूहे को स्किनर पेटिका में रखा जाता था और उन्हें भोजन ग्रहण करने हेतु लीवर दबाना पड़ता था।
 इसके बाद में अन्य पशुओं पर प्रयोग किए और शिक्षण यंत्रों को प्रयोग में लिया गया।
 रेखीय अभिक्रमित अनुदेशन पूरी तरह स्किनर के इस अधिगम सिद्धांत पर आधारित है स्किनर ने सर्वप्रथम अपना प्रयोग चूहों पर किया और एक ऐसी पेटिका का निर्माण किया जिसमें एक छड़ और भोजन के लिए एक तश्तरी जुड़ी हुई थी। उसने एक भूखे चूहे को इस पेटिका में रखा। चूहा पेटीका में इधर-उधर घूमता था जैसे ही वह छड़ को दबाता भोजन तश्तरी में आ जाता। जब भोजन में चूहे के इस व्यवहार का पुनर्बलन हुआ तो वह बार-बार छड़ को दबाने का कार्य करने लगा चूहे को छड़ दबाने पर भोजन केवल उसी समय उपलब्ध होता जब साथ में मीठी ध्वनि भी होती धीरे-धीरे चूहे ने समानीकरण कर लिया और वह केवल उसी समय क्षण दबाता जबकि मीठी ध्वनि होती स्किनर ने इसी तरह के प्रयोग कबूतर पर किया। स्किनर चिड़ियों को पुरस्कृत करके उन्हें परिमार्जित एवं परिवर्तित करने में सफल हुए यहां तक की चिड़िया पिंगपोंग खेल भी खेलने लगी। सिद्धांत के अनुसार एस आर सूत्र को आर एस सूत्र में बदल दिया एसआर सूत्र के अनुसार बिना उत्तेजक के क्रिया नहीं हो सकती उन्होंने विरोध किया उनकी मान्यता है कि ज्ञात उत्तेजक के बिना अनुक्रिया घटित हो सकती है उनके अनुसार अनुक्रिया पहले होनी चाहिए और उत्तेजक बाद में दिया जाना चाहिए। परंतु वांछित अनुक्रिया का कृत्रिम उत्तेजक द्वारा पुनर्बलन जरूरी है, अन्यथा अनुप्रिया में हास्य होने लगता है। पुनर्बलन उचित अनुप्रिया के पश्चात ही देना चाहिए पहले नहीं। इन्होंने अनुप्रिया को दो भागों में विभक्त किया है-
1. प्रकाश में आने वाली अनुक्रिया
2. उत्सर्जन प्रतिक्रिया

जो अनुक्रिया ज्ञात प्रकाश में लाई जाती है उसको प्रकाशित अनुक्रिया कहते हैं इसके विपरीत दूसरे प्रकार की अनुप्रिया होती है बंद किसी ज्ञात प्रेरक से नहीं होता इस तरह की उत्सर्जन अनुप्रिया को क्रिया प्रसूत कहते हैं.

स्किनर के सिद्धांत की कमियां:-

1. प्रिया प्रसूति उत्तेजक अथवा उद्दीपन प्रसूति में भ्रम व्याप्त है जिसके कारण क्रिया प्रसूत अनुबंधन और उद्दीपन प्रसूत अनुबंधन में स्पष्ट अंतर करना कठिन होता है.
2. अधिगम एवं क्रियाकलाप में स्पिनर कोई अंतर नहीं समझते जबकि दूसरे मनोवैज्ञानिक का विचार है कि पुनर्बलन करके सीखने की अपेक्षा लक्ष्य की दृष्टि से क्रिया को प्रभावित करता है.
3. क्रिया प्रसूति के सभी प्रयोग नियंत्रित परिस्थितियों में हुए अतः स्थितियों में किए गए प्रयोगों से उपलब्ध नियम किस प्रकार सीखने की प्राकृतिक परिस्थितियों में लागू किए जा सकते हैं.

स्किनर के सिद्धांत का शिक्षा में महत्त्व:-

1. बालक किसी भी विषयवस्तु को आसानी से सिख पता है।
2. बालक के अच्छे कार्य पर तुरंत पुनर्बलन प्रदान करना चाहिए ताकि वो आगे मिलने वाले कार्य को मन लगा के करे।
3. गृहकार्य प्रतिदिन देना चाहिए अन्यथा बालक कार्य को करने में रूचि नही लेगा।

No comments:

Post a Comment

Up Lekhpal Bharti Preparation Tips And Best Books 2020 in Hindi

उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) ने लेखपाल (समेकन लेखाकार) के लिए आवेदन आमंत्रित किया है। कुल 5000 से भी ज्यादा वैकेंसी है। 12 व...